नॉन-एचसीएस से आईएएस में चयनित 5 अधिकारियों में से 2 की उम्मीदवारी पर सवाल
नॉन-एचसीएस से आईएएस में चयनित 5 अधिकारियों में से 2 की उम्मीदवारी पर सवाल
विवेक भारती और जैन्द्र छिल्लर दोनों सरकारी कॉलेजों के प्रोफेसर आज तक ग्रुप बी अधिकारी
न्यूनतम 8 वर्षो की ग्रुप ए सेवा वाला अधिकारी ही होता है आईएएस में चयन हेतु योग्य - एडवोकेट
वर्ष 2010 में हुड्डा सरकार ने कॉलेज प्रोफेसरों को बनाया था आधा अधूरा क्लास वन अधिकारी
एडवोकेट द्वारा मामला उठाने बाद विभाग ने सेवा-नियमों में संशोधन हेतु मुख्यमंत्री को भेजी थी फाइल
आज तक सेवा नियमो में संशोधन को प्रदेश कैबिनेट की मंजूरी नहीं, बगैर इसके ग्रुप ए अधिकारी का दर्जा नहीं
चंडीगढ़ - हरियाणा में नॉन- एचसीएस (गैर राज्य सिविल सेवा) कोटे से सेलेक्ट लिस्ट - 2019 के अंतर्गत निर्धारित आईएएस की 5 रिक्तियों में चयन हेतु जून, 2020 में प्रारम्भ चयन प्रक्रिया जिसमें पहले अगस्त, 2020 में एचपीएससी (हरियाणा लोक सेवा आयोग ) द्वारा लिखित परीक्षा आयोजित कर 27 उम्मीदवारों को इंटरव्यू (साक्षात्कार ) के लिए शार्टलिस्टिड किया गया जो पहले फरवरी, 2021 में होना निर्धारित हुआ हालांकि बाद में दिसंबर, 2021 के अंत में यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) चेयरमैन की अध्यक्षता वाली कमेटी द्वारा लिया गया, में जिन 5 उम्मीदवारों को फाइनल सेलेक्ट कर नॉन- एचसीएस से आईएएस में चयन हेतु केंद्र सरकार से सिफारिश की गयी है, उनमें से 2 हरियाणा के उच्चतर शिक्षा विभाग के अंतर्गत राजकीय (सरकारी ) कॉलेज में कार्यरत प्रोफेसर हैं डॉ. विवेक भारती और डॉ. जैन्द्र छिल्लर जो हालांकि आज तक आधिकारिक रूप से हरियाणा सरकार के ग्रुप ए अधिकारी ही नहीं हैं. इनके अलावा तीन और सफल उम्मीदवारों में अश्विनी कुमार गुप्ता, डॉ. हरीश कुमार वशिष्ठ और डॉ. ब्रह्मजीत सिंह रंगी का नाम शामिल है.
उपरोक्त साक्षात्कार के लिए योग्य पाए गए 27 उम्मीदवारों में हरियाणा सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग से 8 -डॉ. ब्रह्मजीत सिंह रंगी, डॉ. धर्मेद्र सिंह यादव, डॉ. हरीश कुमार वशिष्ठ, डॉ. लाल चंद रंगा, डॉ. संदीप, डॉ. संजय कुमार, डॉ. सुशील कुमार और डॉ. वीरेंद्र सेहरावत, स्वास्थ्य विभाग से 3 - डॉ. चांदनी मलिक, डॉ. मुक्ता कुमार और डॉ. रविंद्र अहलावत, उद्द्योग एवं वाणिज्य विभाग से 1 अश्वनी कुमार गुप्ता, तकनीकी शिक्षा विभाग से 1 कुलदीप सिंह जामवाल, आबकारी एवं कराधान विभाग से 1 राजीव कुमार और नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग से 2 विजेंद्र सिंह ओर वेद प्रकाश एवं उच्चतर शिक्षा विभाग से भी 11-आदर्श सिंह पंजेटा, अजय कुमार मान, जैन्द्र सिंह छिल्लर, ममता गोयल, प्रदीप कुमार, रोहतास गोदारा, संदीप मान , विवेक भारती, रीना, मनीषा ओर हरी ओम शामिल रहे.
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि प्रदेश के सरकारी कॉलेजो में कार्यरत वरिष्ठ लेक्चरर, जिन्हें वर्षो पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर का पदनाम दिया गया था एवं जिन्हे अक्टूबर, 2010 में तत्कालीन हुड्डा सरकार दौरान जारी एक नोटिफिकेशन द्वारा क्लास वन अधिकारी का आधा -अधूरा दर्जा दिया गया था, वास्तव में आधिकारिक तौर पर राज्य सरकार के ग्रुप ए अधिकारी नहीं है क्योंकि आज तक इन पर लागू होने वाले सेवा नियमों में इनके ग्रुप बी होने का ही उल्लेख है.
हालांकि अगस्त, 2010 में तत्कालीन हुड्डा सरकार द्वारा प्रदेश के राजकीय कॉलेजो के वरिष्ठ कॉलेज लेक्चररो अर्थात जो तत्कालीन पे- बैंड तीन में आते थे और जिनकी ग्रेड पे 7000 रुपये थी उन्हें एचईएस -1 अर्थात हरियाणा एजुकेशन सर्विस क्लास वन का दर्जा देने का निर्णय लिया जिसके सम्बन्ध में 7 अक्टूबर 2010 को उच्चतर शिक्षा विभाग की तत्कालीन प्रशासनिक सचिव सुरीना राजन द्वारा एक गजट नोटिफिकेशन भी जारी की गयी जिसमे यह उल्लेख था कि उक्त कॉलेज लेक्चररो को एचईएस -1 का दर्जा मिलेगा परन्तु साथ साथ यह भी स्पष्ट किया गया वह इसका कोई लाभ/सुविधाएं या उच्च वेतनमान आदि क्लेम नहीं करेंगे. अत: एचईएस-1 का दर्जा होने के बावजूद ग्रुप बी कॉलेज प्रोफेसर क्लास-1 /ग्रुप ए अधिकारी के तौर पर लाभ नहीं उठा सकते. उक्त नोटिफिकेशन में यह भी उल्लेख था कि इस सम्बन्ध में हरियाणा एजुकेशन (कॉलेज कैडर) ग्रुप बी सेवा नियम,1986 और हरियाणा एजुकेशन (कॉलेज कैडर) ग्रुप ए सेवा नियम,1986 में अलग अलग से उपयुक्त संशोधन कर दिया जाएगा जोकि हालांकि आज तक नहीं किया गया.
हेमंत ने अगस्त 2020 को हरियाणा के उच्चतर शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव अंकुर गुप्ता, आईएएस विभाग के तत्कालीन महानिदेशक अजित बालाजी जोशी, आईएएस एवं अन्य को अलग अलग प्रतिवेदन भेजे जिसमें उन्होंने विभाग द्वारा प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में कार्यरत 100 के करीब असिस्टेंट/एसोसिएट प्रोफेसरों के नाम नॉन-एचसीएस कोटे से आईएएस की 5 रिक्तियों के लिए राज्य सरकार द्वारा आरम्भ की गयी चयन प्रक्रिया में शॉर्टलिस्टिंग हेतू हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा में शामिल होने के लिए आयोग को भेजने पर आपत्ति उठायी क्योंकि वो आधिकारिक तौर पर राज्य सरकार के ग्रुप ए अधिकारी नहीं हैं और उक्त चयन प्रक्रिया में केवल न्यूनतम 8 वर्ष नियमित सेवा वाले राज्य सरकार के ग्रुप ए अधिकारी ही योग्य होते है.
इसके जवाब में सर्वप्रथम 4 सितम्बर 2020 को उन्हें उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा एक पत्र भेजकर सूचित किया गया कि सरकारी कॉलेजों के प्रोफेसरों के सेवा नियमो में आवश्यक संशोधन नहीं किया गया है हालांकि इस सम्बन्ध में मिसल (फाइल ) सम्बंधित सेवा नियमों में संशोधन हेतू मुख्यमंत्री महोदय को प्रस्तुत कर दी गयी है. यही जवाब विभाग द्वारा उनके द्वारा दायर एक आरटीआई के जवाब में अक्टूबर, 2020 में भी दिया गया.
बहरहाल, आज डेढ़ वर्ष बीते जाने के बाद भी उक्त सेवा नियमो में संशोधन नहीं किया गया है इसके दृष्टिगत प्रश्न यह उठता है जब न केवल मौजूदा तौर पर बल्कि जून-जुलाई, 2020 में आवेदन करते समय और 9 अगस्त 2020 को एचपीएससी द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा में उक्त सरकारी कॉलेजों के प्रोफेसर ग्रुप ए अधिकारी न होने के कारण योग्य ही नहीं थे, तो उनके नाम उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा एचपीएससी को कैसे और क्यों भेजे गए ? यहीं नहीं एचपीएससी द्वारा उन्हें परीक्षा में बैठने हेतू उपयुक्त कैसा पाया गया और उनमें से कुछ का नाम शॉर्टलिस्ट कर राज्य सरकार और फिर मुख्य सचिव कार्यालय द्वारा केंद्र सरकार के कार्मिक विभाग/यूपीएससी को कैसे भेजा गया ?
हेमंत ने बताया कि अब अगर हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी कॉलेज के प्रोफेसरों के सेवा नियमो में संशोधन कर उन्हें ग्रुप ए बना भी दिया जाता है, तो सेवा-नियमों में संशोधन तत्काल प्रभाव से ही लागू होगा. हालांकि उक्त नॉन-एचसीएस से आईएएस चयन प्रक्रिया के लिए शॉर्टलिस्टेड किये गए उम्मीदवारों को योग्य बनाने हेतु संशोधित सेवा नियमो को 1 जनवरी 2011 से लागू करना होगा क्योंकि उक्त चयन प्रक्रिया के लिए योग्य उम्मीदवार की 1 जनवरी 2019 को ग्रुप ए अधिकारी के तौर पर 8 वर्षो की न्यूनतम सेवा पूर्ण होनी आवश्यक था. अब उपरोक्त ताज़ा सेवा/संशोधन नियमो को वर्षो पूर्व की तिथि से लागू करना कितना न्यायसंगत होगा, यही निश्चित तौर पर देखने लायक होगा ?